Excellent
160 Review
रु.21,000/- (प्रति व्यक्ति)
06 दिवस
Maximum 50
Hindi
05/01/2025 - 10/01/2025
माँ नर्मदा का उद्गम अमरकंटक में होता है, और समुद्र संगम गुजरात राज्य के भरुच जिले में संभाल की खाडी अर्थात रत्न सागर में में होता है। माँ नर्मदा की सम्पूर्ण परिक्रमा भक्तजन पैदल अथवा वाहन से करते हैं, निसकी दूरी लगभग 3500 कि.मी. होती ह से 'कैवल्यधाम आश्रम' द्वारा भी वाहन के माध्यम से सम्पूर्ण नर्मदा परिक्रमा का 16 दिवसीय आयोजन किया जाता है। परंतु अनेक व्यवहारिक कठिनाईयों के कारण इच्छा होते हुए भी अनेक दिव्य तीर्थों के दर्शन सोलह दिवसीय यात्रा में नहीं हो पाते है। व्यवहारिक कठिनाईयों की यदी बात करें तो सबसे महत्वपूर्ण है- समय वर्तमान व्यस्त जीवन में की धार्मिक यात्रा के लिये जीवनचर्या से सोलह दिन निकालना बहुत बडी बात है। अतः सम्पूर्ण परिक्रमा की , अवधी सोलह दिन से अधिक होना बहुत कठिन है। दूसरी सबसे प्रमुख कठिनाई है-परिक्रमा के नियम, जिसके अंतर्गत हम माँ नर्मदा को पार नहीं कर सकते। इसी कारण द्वीप पर स्थित द्विव्य तीर्थ क्षेत्र के दर्शन नहीं हो पाते ।तीसरी सबसे बड़ी कठिनाई है - वाहन का आकार। सोलह दिवसीय सम्पूर्ण परिक्रमा में स्लीपर कोच वाहन का प्रयोग किया जाता है, तो दुर्गम मार्ग पर चलना कठिन है। परंतु कैवल्यधाम आश्रम के आयोजकों के हृदय में सदैव यह इच्छा रही की भक्तों को नर्मदा मैया के दिव्य तट तीर्थों के अधिक से अधिक दर्शन् करवाएँ जाएँ। इसी तथ्य का विचार करते। हुए आयोजकों द्वारा नर्मदा मैया की की सम्पूर्ण दूरी (1312 KM) को चार भागों में विभाजित किया गया।
अमरकंटक से बरमान ।
बरमान से नेमावर।
नेमावर से बडवानी ।
शूलपाणेश्वर से समुद्र संगम
इन चार भागों के दर्शन की यात्रा का समय भी सात से नौ दिनों का रखा गया। इन यात्राओं में दुर्गम, संकीर्ण मार्ग पर चलने में सक्षम छोटे वाहनों का प्रयोग किया जाता है। इन यात्रा में परिक्रमा का संकल्प भी नहीं किया जाता। इस कारण इस अल्पावधी की यात्रा में माँ नर्मदा तट के दिव्य तीर्थों के सूक्ष्म दर्शन बड़ी सरलता से हो जाते हैं।उपरोक्त वर्णित चार यात्राओं भागों में से चौथे भाग को समुद्र पंचक्रोशी कहा गया है, क्योंकी इस यात्रा में शूलपाणेश्वर से समुद्र संगम तट के नर्मदा खण्ड के दिव्य दर्शन के साथ ही दहेज क्षेत्र (भरुच जिला)की नर्मदा मैय्या के समुद्र पंचक्रोशी " (नवनाथ परिक्रमा) का भी लाभ प्राप्त होता है। आप सभी से इस दिव्य यात्रा में सम्मिलित होकर माँ नर्मदा तट की दिव्य सुगंध का लाभ लेने का विनम्र अनुरोध है।
नर्मदा पुराणमर्मज्ञ पं. अनय "रेवाशीष" जी के मुखारविन्द से प्रतिदिन संगीतमय दिव्य नर्मदा पुराण कथा ।
वाहन द्वारा सम्पूर्ण नर्मदा परिक्रमा के दर्शन न होने वाले दुर्गम दिव्य तीर्थ स्थलों के सुगमता से दर्शन
शारीरिक स्वास्थ्य और अधिक आयु के कारण पैदल परिक्रमा न कर पाने वाले भक्तों को नर्मदा खण्ड के दिव्य तीर्थ क्षेत्रों के दर्शन का सुयोग।
महासती अनुसूया माता के श्रृंगार तथा नानी मोटी पनौती क्षेत्र में साडे साती निवारणार्थ पूजन का विशेष लाभ ।
माँ नर्मदा के दिव्य तट के लगभग 31 पुराणोक्त शिवतीर्थ,, 5 दत्तात्रय स्वामि सिद्ध स्थान, 2 पु. टेम्बे स्वामी स्थान और अक्कलकोट भी स्वामि समर्थ की दिव्य चरण पादुका के दर्शन का सुअवसर । ।
यात्रा राशि में भोजन, निवास, पूजन सामग्री, स्थानीय भ्रमण आदि समस्त शुल्क सम्मिलित हैं।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में प्रतिमा लिफ्ट एवं लेजर शो का शुल्क ही आयोजकों द्वारा पदान किया जावेगा।
आरक्षण के समय रू. 9,000/- प्रति व्यक्ति जमा करके अपना स्थान सुनिश्चित करें ।
शेष राशि यात्रा प्रारंभ होते समय जमा करें ।
यात्रा प्रारंभ होने के 45 दिन अधिक समय में निरस्त करने पर रु ३०००/- काटकर शेष राशी वापस लौटाई जावेगी। ।
यात्रा शुरू होने में 45 दिन से कम अवधि रहने पर आरक्षण राशी वापस नहीं होगी। अपने स्थान पर अन्य यात्री को भेज सकते हैं। ।
प्राकृतिक आपदा, शासकीय (लॉकडाउन कर्फ्यू आदि) की स्थिति में यात्रा निरस्त होने पर जमा राशी भविष्य की यात्रा में समायोजित होगी।
कृपया किसी प्रकार की छूट अथवा डिस्काउंट की चर्चा न करें ।
सर्वत्र सुविधा संपन्न होटल में, 2 प्रवासियों के लिए 1 रूम की व्यवस्था ।
भरुच छोडकर सर्वत्र निवास व्यवस्था नॉन एसी रहेगी। अन्यत्र ए.सी. सुविधा का शुल्क अलग देय होगा ।
प्रथम तल तक चढ़ना उत्तरना पड सकता है।
भरुच तक आने जाने का समस्त व्यय प्रवासियों को स्वयं वहन करना होगा।
यात्रा में दोनों समय शुद्ध-सात्विक स्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था उपलब्ध रहेगी, जिसमें समयानुसार मिष्ठान्न का समावेश रहेगा ।
प्रातःकाल नाश्ता एवं दो समय चाय / कॉफी की व्यवस्था रहेगी ।
प्रत्येक यात्री को प्रतिदिन 2 बीटर बोतल बंद प्रेयजल प्रदान किया जाएगा।।
समय पर भोजन प्रसादी की व्यवस्था के लिए अलग भोजन वाहन की व्यवस्था रहेगी ।
उपवासिक भोजन की व्यवस्था नहीं रहेगी।
यात्री अपने स्वास्थ्य एवं परहेज का स्वयं ध्यान रखें। नियमित औषधियां पर्याप्त मात्रा में साथ में रखे। प्राथमिक उपचार की सुविधा रहेगी, स्वस्थ अधिक खराब होने की दशा में परिजनों को सूचना देकर उचित निर्णय लिया जावेगा।
कम से कम सामान के साथ यात्रा करके अधिक से अधिक आनंद प्राप्त करें।
समुद्र पंचक्रोशी वाले दिन सभी को खेत वस्त्र और संपूर्ण यात्रा में भारतीय पोषाख धारण करना आपेक्षित है।
मूल्यवान आभूषण, वस्तुएं स्वयं के उत्तरदायित्व पर साथ में लावें ।
यात्री अपने साथ शासन प्रमाणित परिचय पत्र (आधार कार्ड आदि) एवं एक पासपोर्ट आकार का फोटो आवेदन पत्र में संलग्न करें।
माँ नर्मदा के घाटों पर स्वछता का ध्यान रखना एवं स्नान के समय साबुन का प्रयोग न करना यात्री का कर्तव्य है ।
तत्कालीन अपरिहार्य परिस्थिति के कारण कार्यक्रम में परिवर्तन का अधिकार आयोजकों के पास सुरक्षित है । सभी विवादों का न्यायक्षेत्र बड़वाह रहेगा ।
समुद्र पंचक्रोशी के अंतर्गत तीर्थ स्थल : - भूतनाथ, मीठी तलाई, नीलकंठेश्वर, मखनेश्वर, शिंगनाथ, दुधेश्वर, सिकोतर माता, जागनाथ, कृष्णानंद आश्रम (उमियानाथ, नर्मदा मंदिर दत्त मंदिर, आलबाई गेलबाई माता, हरिधाम आश्रम, परशुराम तीर्थ )
शूलपाणेश्वर से मीठी तलाई क्षेत्र के तीर्थ स्थल: - शूलपाणेश्वर (सायकालीन महा आरती), रामपुरा (छोटी पांडव गुफा, रणछोड़राय मंदिर, धनदेश्वर, भीमेश्वर), कुंभेश्वर (नानी मोटी - पनोती, स्वामी समर्थ चरण पादुका), भारभूतेश्वर (दत्तमंदिर, पंचमुखी शिवलिंग, सोमेश्वर सप्तलिंग, आलियाबेट दूरदर्शन), मालसर (डोंगरे महाराज समाधी, सत्यनारायण मंदिर, अंगारेश्वर), मंगलेश्वर (दत्त मंदिर), कबीरबड (नौका यात्रा), गरुडेश्वर (पु. टेम्बे स्वामी समाधि, दत्त मंदिर) , नारेश्वर (श्रीरंगावधूत स्वामी), तिलकवाडा (पु. टेम्बे स्वामी चतुर्मास स्थल), मणिनागेश्वर, स्टेच्यू ऑफ युनिटी (लिफ्ट द्वारा - प्रतिमा दर्शन, सायंकालीन लेसर शो), कुबेर भंडारी, भंडारेश्वर, हनुमंतेश्वर, नीलकंठ धाम (पोयचा), नीलकंठेश्वर (भरूच), स्वामी नारायण मंदिर (भरूच), अनुसूया तीर्थ (दत्त जन्म वरदान प्राप्ती स्थल, दत्त मंदिर), गुवार (रामानंद आश्रम, तपोवन आश्रम)
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